छत्तीसगढ़-
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राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत मध्यप्रदेश के पुनर्गठन के जरिए छत्तीसगढ़ एक नवम्बर 2000 को नया राज्य बना।
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छत्तीसगढ़ राज्य का क्षेत्रफल लगभग एक लाख 35 हजार 361 वर्ग किलोमीटर है। क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का 9वां और जनसंख्या की दृष्टि से 16 वां बड़ा राज्य है। इसके कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 44 प्रतिशत इलाका वनों से परिपूर्ण है। वन क्षेत्रफल के हिसाब से छत्तीसगढ़ देश का तीसरा बड़ा राज्य है।
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छत्तीसगढ़ की सीमाएं देश के छह राज्यों को स्पर्श करती हैं। इनमें मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, उड़ीसा, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश शामिल हैं। छत्तीसगढ़ के सरहदी इलाकों में सीमावर्ती राज्यों की सांस्कृतिक विशेषताओं का भी प्रभाव देखा जा सकता है।
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वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ की कुल जनसंख्या दो करोड़ 55 लाख 40 हजार 196 है। इसमें एक करोड़ 28 लाख 27 हजार 915 पुरूष और एक करोड़ 27 लाख 12 हजार 281 महिलाएं हैं। प्रदेश की ग्रामीण आबादी लगभग एक करोड़ 96 लाख 03 हजार 658 और शहरी आबादी 59 लाख 36 हजार 538 है।
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छत्तीसगढ़ में जनसंख्या का घनत्व 189 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है, जबकि भारत में जनसंख्या का घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से अधिक है।
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पुरूष और स्त्री जनसंख्या में लैंगिक अनुपात के मामले में छत्तीसगढ़ का स्थान देश में दूसरा है। यहां प्रति एक हजार पुरूषों के बीच स्त्रियों की संख्या 991 है।
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हमारा बिलासपुर रेलवे जोन देश का सबसे ज्यादा माल ढोने वाला रेलवे जोन है, जो भारतीय रेलवे को उसके कुल वार्षिक राजस्व का छठवां हिस्सा देता है।
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खनिज राजस्व की दृष्टि से देश में दूसरा बड़ा राज्य है।
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वन राजस्व की दृष्टि से तीसरा बड़ा राज्य है।
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राज्य के कुल क्षेत्रफल का 44 प्रतिशत हिस्सा बहुमूल्य वनों से परिपूर्ण है।
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देश के कुल खनिज उत्पादन का 16 प्रतिशत खनिज उत्पादन छत्तीसगढ़ में होता है।
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छत्तीसगढ़ में देश का 38.11 प्रतिशत टिन अयस्क, 28.38 प्रतिशत हीरा, 18.55 प्रतिशत लौह अयस्क और 16.13 प्रतिशत कोयला, 12.42 प्रतिशत डोलोमाईट, 4.62 प्रतिशत बाक्साइट उपलब्ध है।
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छत्तीसगढ़ में अभी देश का 38 प्रतिशत स्टील उत्पादन हो रहा है। सन 2020 तक हम देश का 50 फीसदी स्टील उत्पादन करने लगेंगे।
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छत्तीसगढ़ में अभी देश का 11 प्रतिशत सीमेन्ट उत्पादन हो रहा है, जो आगामी वर्षों में बढ़कर 30 प्रतिशत हो जाएगा।
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राज्य में अभी देश का करीब 20 प्रतिशत एल्युमिनियम उत्पादन है, वह निकट भविष्य में बढ़कर 30 प्रतिशत हो जाएगा।
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छत्तीसगढ़ में भारत का कुल 16 प्रतिशत खनिज उत्पादन होता है, अर्थात साल भर में खनिज से बनने वाली हर छठवीं चीज पर छत्तीसगढ़ का योगदान होता है।
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छत्तीसगढ़ में देश का लगभग 20 प्रतिशत आयरन ओर है, यानी हर पांचवें टन आयरन ओर पर छत्तीसगढ़ का नाम लिखा है।
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देश में कोयले पर आधारित हर छठवां उद्योग छत्तीसगढ़ के कोयले से चल सकता है। छत्तीसगढ़ में देश के कुल कोयले के भण्डार का लगभग 17 प्रतिशत छत्तीसगढ़ में है।
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डोलोमाईट पर आधारित हर पांचवा उद्योग छत्तीसगढ़ पर निर्भर है, क्योंकि हमारे पास देश के कुल डोलोमाईट का लगभग 12 प्रतिशत भण्डार है।
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खनिज के राज्य में वेल्यू एडीशन की हमारी नीति के कारण देश का 27 प्रतिशत यानी एक तिहाई लोहा छत्तीसगढ़ में बनता है।
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हम देश में स्ट्रक्चरल स्टील के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता हैं। हर साल पांच मिलियन टन हम देश को देते हैं। आप कह सकते हैं कि आज भारत का हर तीसरा घर, तीसरा पुल, तीसरा स्ट्रक्चर छत्तीसगढ़ के लोहे से बनता है।
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हमारी धरती के बाक्साइट की बदौलत आज देश का सबसे बड़ा एल्युमिनियम प्लांट बाल्को, कोरबा में चल रहा है और इस तरह देश के सबसे बड़े एल्युमिनियम उत्पादक भी है।
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देश के हर बड़े उद्योग समूह का पसंदीदा स्थान छत्तीसगढ़ बन रहा है। इसलिए आज चाहे टाटा, एस्सार, जे.एस.पी.एल., एन.एम.डी.एस. स्टील प्लांट हों या ग्रासिम, लाफार्ज, अल्ट्राटेक, श्री सीमेंट जैसे सीमेंट कारखाने सब छत्तीसगढ़ में हैं।
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छत्तीसगढ़ में इस समय स्टील, सीमेंट, एल्युमिनियम एवं ऊर्जा क्षेत्रों में लगभग एक लाख करोड़ रूपए का निवेश प्रस्तावित है।
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औद्योगिक उत्पादन बढ़ाने के साथ हमने ग्रीन टेक्नालाॅजी पर भी जोर दिया है। छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है। इस धान के कटोरे में धान की भूसी से भी 220 मेगावाट बिजली उत्पादन किया जा रहा है।
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बायोडीजल उत्पादन और उसके लिए रतनजोत के वृक्षारोपण में छत्तीसगढ़ देश में अग्रणी है।
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वनौषधियों के प्रसंस्करण तथ एग्रो इंडस्ट्रीज की स्थापना हेतु विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।
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बीते साल पूरे भारत में सीमेन्ट की औसत खपत 10 प्रतिशत बढ़ी है तो छत्तीसगढ़ में 12 प्रतिशत बढ़ी है। बीते पांच वर्षों में छत्तीसगढ़ में सीमेन्ट की खपत दोगुनी हो गयी है। इससे पता चलता है कि राज्य में अधोसंरचना निर्माण के काम की गति कितनी तेज हुई है।
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आज जब देश के अन्य राज्य भयंकर बिजली संकट और घण्टों की बिजली कटौती से जूझ रहे हैं, उस दौर में छत्तीसगढ़ देश का ऐसा अकेला राज्य है, जिसने आधिकारिक तौर पर बकायदा ‘जीरो पावर कट स्टेट’ होने की घोषणा की है।
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प्रदेश की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 1360 मेगावाट से बढ़कर 1924 मेगावाट हो गयी है। राज्य में नये बिजली घरों के निर्माण की कार्ययोजना प्रगति पर है। पिट हैड पर ताप बिजलीघर लगाने वालों का छत्तीसगढ़ में स्वागत है, लेकिन उसके लिए उन्हें 7.5 प्रतिशत बेरीएबल कास्ट पर पहले हमें बिजली देना होगा। उत्पादन पर पहला 30 फीसदी का अधिकार हमारा होगा। राज्य में 50 हजार मेगावाट क्षमता के बिजली घरों हेतु एमओयू किए जा चुके हैं।
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आगामी 7-8 वर्षों में कम से कम 30 हजार मेगावाट क्षमता के बिजली घरों से उत्पादन प्रारंभ हो जाएगा। उनसे मिलने वाली हमारे हिस्से की बिजली बेचकर हमें एक मोटे अनुमान के अनुसार 10 हजार करोड़ रूपए से अधिक की अतिरिक्त आय हर साल होने लगेगी। ऐसे उपायों से शायद हम छत्तीसगढ़ को टैक्स-फ्री राज्य भी बना सकेंगे।
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हमारे राज्य की ऊर्जा राजधानी कोरबा आने वाले दिनों में 10 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन करने लगेगी, जिसके कारण कोरबा जिला देश का सबसे बड़ा ऊर्जा उत्पादक जिला और देश की ऊर्जा राजधानी बन जाएगा।
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छत्तीसगढ़ में सभी वर्गों के बिजली उपभोक्ताओं के साथ उद्योगों को भी देश में सबसे सस्ती दर पर बिजली मिल रही है।
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राज्य बनने के पहले छत्तीसगढ़ के किसानों का मुश्किल से पांच-सात लाख मीटरिक टन धान ही हर साल खरीदा जा सकता है। लेकिन राज्य सरकार ने वर्ष 2010-11 में 51 लाख मीटरिक टन धान खरीद कर किसानों को 5000 करोड़ रूपए धान की कीमत और बोनस के रूप में दिए ।
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आजादी के बाद 56 सालों में सिर्फ छत्तीसगढ़ के किसानों को 72 हजार पम्प कनेक्शन मिले थे। लेकिन बीते सात सालों में 02 लाख 67 हजार से अधिक पम्प कनेक्शन दिए गए हैं।
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किसानों को साल भर में छह हजार यूनिट बिजली मुफ्त दी जा रही है।
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किसानों को मात्र तीन प्रतिशत ब्याज दर पर कृषि ऋण दिया जा रहा है। पहले किसान साल भर में मात्र 150 करोड़ रूपए का ऋण ले पाते थे, वह अब बढकर 1500 करोड़ रूपए हो गया है।
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जब राज्य बना था, यहां की सिंचाई क्षमता कुल बोए गए क्षेत्र का लगभग 23 प्रतिशत थी, जो अब बढ़कर लगभग 32 प्रतिशत हो गयी है।
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छत्तीसगढ़ गठन के वक्त, अविभाजित मध्यप्रदेश के हिस्से के रूप में छत्तीसगढ़ के भौगोलिक क्षेत्र के लिए कुल बजट प्रावधान पांच हजार 704 करोड़ रूपए था, जो अलग राज्य बनने के बाद क्रमशः बढ़ता गया और अब दस सालों में 30 हजार करोड़ रूपए से अधिक हो गया है।
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प्रति व्यक्ति आय की गणना, वर्ष 2000-2001 में प्रचलित भावों में प्रति व्यक्ति आय 10 हजार 125 रूपए थी, जो वर्तमान में बढ़कर 44 हजार 097 रूपए(अनुमानित) हो गयी।
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विकास का एक पैमाना राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ने को भी माना जाता है। विगत पंाच वर्षों में लाखों लोगों को रोजगार मिला है।
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हमने शासकीय नौकरियों में भर्ती से प्रतिबंध हटा दिया। विभिन्न विभागों में रिक्त पदों को भरने का समयबद्ध अभियान चलाया। इसके कारण करीब एक लाख लोगों की भर्ती विभिन्न विभागों में हुई है।
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करीब एक लाख शिक्षाकर्मियों और 25 हजार पुलिस कर्मियों की भर्ती की गयी। अनुकम्पा नियुक्ति के तहत हजारों पद भरे गए। करीब 20 हजार दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमित किया गया।
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अनुसूचित जाति-जनजाति के युवाओं को रोजगार के नये अवसर देने के लिए निःशुल्क पायलट तथा एयर होस्टेस प्रशिक्षण योजना संचालित की जा रही है। इसके तहत पायलट प्रशिक्षण पर प्रति व्यक्ति 13 लाख रूपए तथा एयर होस्टेस प्रशिक्षण के लिए प्रति व्यक्ति एक लाख रूपए राज्य शासन द्वारा वहन किया जाता है।
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राज्य में स्थापित नए उद्योगों में करीब 50 हजार लोगों को रोजगार मिला। ग्रामीण विकास की विभिन्न योजनाओं में 25 लाख से अधिक परिवारों को रोजगार दिया गया है।
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बेरोजगार स्नातक इंजीनियरों को लोक निर्माण विभाग में बिना टेण्डर के ही निर्माण कार्य मंजूर करने की प्रक्रिया अपनाई गयी है।
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हम छत्तीसगढ़ के 32 लाख 53 हजार गरीब परिवारों को एक रूपए और दो रूपए प्रतिकिलो में चांवल दे रहे हैं।
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हर माह प्रति परिवार दो किलो आयोडाईज्ड नमक निःशुल्क दे रहे हैं।
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सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन दुकानों को निजी हाथों से वापस लेकर सहकारिता आधारित सस्थाओं को सौंपा गया है। हर माह की सात तारीख तक राशन बांटने की व्यवस्था, सम्पूर्ण प्रणाली के कम्प्यूटरीकरण, राशन सामग्री को दुकानों तक पहुंचाने के लिए द्वार प्रदाय योजना, एसएमएस, जीपीएस प्रणाली तथा वेबसाइट के उपयोग से निगरानी में जनता की भागीदारी सुनिश्चित की गयी है। छत्तीसगढ़ को केन्द्र व अन्य राज्यों ने रोल माॅडल के रूप में स्वीकार किया है।
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बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए हाईस्कूल जाने वाली हर वर्ग की गरीब बालिकाओं को निःशुल्क सायकलें दी जा रही है। निःशुल्क कम्प्यूटर प्रशिक्षण की व्यवस्था की गयी है।
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कुपोषण दूर करने के लिए 35 हजार आंगनबाड़ी केन्द्रों और 75 हजार महिला स्व-सहायता समूहों को भागीदार बनाया गया है। 13 हजार कुपोषित बच्चों को समाज सेवी संस्थाओं को गोद दिया गया है। पूरक पोषण आहार योजनाओं में महिलाओं को भागीदार बनाया गया है।
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विभिन्न प्रयासों से राज्य में कुपोषण की दर 61 से घटकर 52 हो गयी है।
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राज्य में शिशु मृत्यु दर सन 2000 में 79 प्रति हजर थी, जो घटकर 54 हो गयी है।
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राज्य में मातृ मृत्यु दर सन 2000 में 601 प्रति लाख थी, जो घटकर लगभग 335 हो गयी है।
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बच्चों को हद्यरोग से राहत दिलाने के लिए मुख्यमंत्री बाल हद्य सहायता योजना संचालित की जा रही है। जिसके तहत 1800 से अधिक बच्चों का सफल आॅपरेशन किया जा चुका है, उन्हें एक लाख 80 हजार रूपए तक की सहायता प्रत्येक आॅपरेशन के लिए दी जाती है।
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मूक-बधिर बच्चों के उपचार के लिए नई योजना शुरू की गयी है, जिसके तहत काॅक्लियर इम्प्लांट हेतु पांच लाख रूपए से अधिक तक की मदद प्रत्येक व्यक्ति को दी जा सकती है।
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महिलाओं को अधिकार सम्पन्न बनाने के लिए त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है।
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महिलाओं के नाम से जमीन खरीदी करने पर रजिस्ट्री में दो प्रतिशत की छूट दी जा रही है।
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महिला स्व-सहायता समूहों को 6.5 प्रतिशत की आसान ब्याज दर पर ऋण दिया जा रहा है।
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34 हजार से भी अधिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को निःशुल्क सायकल दी जा रही है।
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गरीब परिवारों की बालिकाओं, निःशक्त युवतियां को विवाह के लिए आर्थिक मदद की जा रही है।
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शहरों की छोटी बस्तियों में रहने वाली महिलाओं को सार्वजनिक नलों में होने वाली दिक्कतों से बचाने के लिए भागीरथी नल-जल योजना के तहत उनके घर पर निःशुल्क नल कनेक्शन दिए गए।
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12 लाख से अधिक गरीब परिवारों को प्रतिमाह 30 यूनिट तक निःशुल्क विद्युत आपूर्ति की सुविधा दी गयी है।
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नया राज्य बनने से ही नई राजधानी स्थापित करने का अवसर मिला है। इसके कारण हम छत्तीसगढ़ मंे नया रायपुर नाम से एक ऐसा शहर बसा रहे हैं, जो दुनिया के सबसे सुविधाजनक और सबसे खूबसूरत शहरों में शामिल होगा। इसे हम नगरीय विकास का एक आदर्श उदाहरण बनाना चाहते हैं। जहां पुरातन ओर नवीनता, संस्कृति और शोध, विकास और पर्यावरण सुरक्षा का साझा परिदृश्य होगा। यह शहर रोजगार के नए अवसरों और स्फूर्तिदायक जीवन के लिए भी एक आदर्श प्रस्तुत करेगा।
छत्तीसगढ़: तब और अब
विवरण | वर्ष 2000 | वर्ष 2011 |
---|---|---|
राजस्व जिले | 16 | 18 |
पुलिस जिले | 0 | 3 |
प्रति व्यक्ति आय | 10,125 रूपए | 44, 097 रूपए(अनुमानित ) |
विद्युत स्थापित क्षमता | 1360 मेगावाट | 1924 मेगावाट |
प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत | 354 यूनिट | 838 यूनिट |
विद्युत उपभोक्ता | 18 लाख | 28 लाख |
सिंचाई पम्पों की संख्या | 72 हजार | 02 लाख 67 हजार नवीन पंप |
सिंचित रकबा | 23 प्रतिशत | 32 प्रतिशत |
खनिज रायल्टी | 430 करोड़ रूपए | 2461 करोड़ रूपए |
चावल उत्पादन | 34 लाख 94 हजार मीटरिक टन | 61 लाख 59 हजार मीटरिक टन |
अनाज उत्पादन | 39 लाख मीटरिक टन | 74 लाख मीटरिक टन |
दलहन उत्पादन | 1 लाख 35 हजार मीटरिक टन | 2 लाख मीटरिक टन |
फल उत्पादन | 01 लाख 86 हजार मीटरिक टन | 14 लाख 69 हजार मीटरिक टन |
सब्जी उत्पादन | 11 लाख 46 हजार मीटरिक टन | 42 लाख 40 हजार मीटरिक टन |
मछली उत्पादन | 93 हजार मीटरिक टन | 02 लाख 28 हजार मीटरिक टन |
कृषि ऋण प्रदत्त | 08 करोड़ रूपए | 1500 करोड़ रूपए |
कृषि ऋण की दर | 16 प्रतिशत | 03 प्रतिशत |
धान खरीदी | 05 लाख मीटरिक टन | 51 लाख 13 हजार मीटरिक टन |
उचित मूल्य दुकानें | 06 हजार 501 | 10 हजार 833 |
शिक्षक/शिक्षाकर्मी संख्या | एक लाख 08 हजार | दो लाख 66 हजार |
शासकीय विश्वविद्यालय की संख्या | 04 | 11 |
मेडिकल कॉलेजो की संख्या | 01 | 03 |
डेंटल कॉलेजो की संख्या | 0 | 05 |
नर्सिंग कॉलेजो | 01 | 26 |
ग्राम पंचायत भवन | 399 | 3100 |
आंगनबाड़ी भवन | 259 | 2100 |
सामुदायिक भवन | 0 | 1200 |
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