छत्तीसगढ़ की नदियां-
प्रदेश में मुख्यतः चार अपवाह तंत्र महानदी, गंगा, गोदावरी, नर्मदा है। जिसके अंतर्गत महानदी, शिवनाथ,अरपा, इंद्रावती, सबरी, लीलागर, हसदो, मांड, पैरी तथा सोंढूर प्रमुख नदियां है। महानदी छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा है। बस्तर की नदियों को छोड़कर छत्तीसगढ़ की अन्य प्रमुख नदियां - शिवनाथ, अरपा, हसदो, सोंढूर, जोंक आदि महानदी में मिलकर इस नदी का हिस्सा बन जाती है। महानदी तथा इसकी सहायक नदियां पुरे छत्तीसगढ़ का 58.48 प्रतिशत जल समेट लेती है।
महानदी अपवाह तंत्र-
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छत्तीसगढ़ की गंगा के नाम से प्रसिद्ध महानदी धमतरी के निकट सिहावा पहाड़ी से निकलकर दक्षिण से उत्तर की ओर बहती हुई बिलासपुर जिले को पार कर पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है तथा उड़ीसा राज्य से होती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती है। महानदी की कुल लंबाई 851 किलोमीटर है जिसका 286 किलोमीटर छत्तीसगढ़ में है। प्रदेश में इसका प्रवाह क्षेत्र धमतरी, महासमुन्द, दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, रायगढ़ एवं जशपुर जिले में है। |
शिवनाथ नदी-
इस नदी का उद्गम स्थल राजनांदगांव जिले की अंबागढ़ तहसील की 624 मीटर ऊंची पानाबरस पहाड़ी में है। यह नदी उद्गम स्थल से 40 किमी की दूरी तक उत्तर की ओर बहकर जिले की सीमा पूर्व की ओर बहते हुए शिवरीनारायण के निकट महानदी में विलीन हो जाती है। शिवनाथ नदी राजनांदगांव जिले में 384 वर्ग किमी तथा दुर्ग जिलें में 22484 वर्ग किमी अपवाह क्षेत्र का निर्माण करती है। हाफ, आगर, मनियारी, अरपा, लीलागर, खरखरा, खारून, जमुनिया आदि इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं।
तांदूला नदी-
यह शिवनाथ की प्रमुख सहायक नदी है। जिसका जन्म स्थल कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर तहसील के पहाड़ी में है।
हसदो नदी-
यह मनेन्द्रगढ़ तहसील में कोरिया पहाड़ी के निकट रामगढ़ से निकलती है। चांपा से बहती हुई शिवरीनारायण से 8 मील की दूरी में महानदी में मिल जाती है। इसमें कटघोरा से लगभग 10-12 किमी पर प्रदेश की सबसे ऊंची तथा बड़ी मिनीमाता हसदो बांगो नामक बहुउद्देशीय परियोजना का निर्माण किया गया है।
खारून नदी-
दुर्ग जिले के दक्षिण पूर्व से निकलकर 80 किमी उत्तर की ओर बहकर सिमगा के निकट सोमनाथ नामक स्थान पर शिवनाथ में मिल जाती है। यह नदी दुर्ग जिले में 19980 वर्ग किमी तथा रायपुर जिले में 2700 वर्ग किमी अपवाह क्षेत्र का निर्माण करती है।
जोंक नदी-
यह महासमुन्द के पहाड़ी क्षेत्र से निकलकर रायपुर जिले में बहते हुए पूर्व की ओर महानदी के दक्षिणी तट पर स्थित शिवरीनारायण के पास महानदी में मिलती है। रायपुर जिलें में इसका अपवाह क्षेत्र 2480 वर्ग किमी है।
पैरी नदी-
रायपुर जिले में बिन्द्रानवागढ़ के निकट स्थित भाटीगढ़ पहाड़ी (493मी) से निकलकर रायपुर जिले के दक्षिणी भाग में बहते हुए राजिम के निकट महानदी में मिलती है। रायपुर जिले में यह नदी 3000 वर्ग किमी क्षेत्र में अपवाह क्षेत्र का निर्माण करती है।
माण्ड नदी-
यह नदी सरगुजा जिले की मैनपाट पठार के उत्तरी भाग से निकलती है। फिर रायगढ़ जिले के घरघोड़ा एवं रायगढ़ तहसील में बहती हुई जांजगीर-चांपा की पूर्वी भाग में स्थित चन्द्रपुर के निकट महानदी में मिल जाती है। कुरकुट और कोइराज इसकी सहायक नदियां हैं। इसका प्रवाह क्षेत्र वनाच्छित एवं बालुका प्रस्तरयुक्त है। रायगढ़ जिले में यह नदी 14 किमी की दूरी तय करती है। जहां यह 3233 वर्ग किमी तथा सरगुजा जिले में 800 वर्ग किमी अपवाह क्षेत्र का निर्माण करती है।
ईब नदी-
इसका उद्गम जशपुर जिले के पण्डरापाट नामक स्थान पर खुरजा पहाड़ी से हुआ है। महानदी की प्रमुख सहायक नदी है। ढाल के अनुरूप उत्तर से दक्षिण की ओर जशपुर जिले में बहते हुए उड़ीसा राज्य में प्रवेश कर हीराकुंड नामक स्थान से 10 किमी पूर्व महानदी में मिलती है। मैना, डोंकी इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं। इसका अपवाह क्षेत्र सरगुजा के 250 वर्ग किमी तथा रायगढ़ जिले के 3546 वर्ग किमी में है।
केलो नदी-
इसका उद्गम रायगढ़ जिले की घरघोड़ा तहसील में स्थित लुडे़ग पहाड़ी से हुआ है। घरघोड़ा एवं रायगढ़ तहसीलों में उत्तर से दक्षिण की ओर बहते हुए उड़ीसा राज्य के महादेव पाली नामक स्थान पर महानदी में विलीन हो जाती है।
बोराई नदी-
इस नदी का उद्गम स्थल कोरबा के पठार से हुआ है। यह नदी आगे उद्गम स्थल से दक्षिण दिशा में बहती हुई महानदी में विलिन हो जाती है। शिवनाथ की प्रमुख सहायक नदी है।
दूध नदी-
इसका उद्गम कांकेर से लगभग 15 किमी की दूरी पर स्थित मलाजकुण्डम पहाड़ी से हुआ है, जो पूर्व की ओर बहते हुए महानदी में मिल जाती है।
गंगा अपवाह तंत्र-
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प्रदेश के लगभग 15 प्रतिशत गंगा अपवाह तंत्र का विस्तार है। इस प्रवाह क्षेत्र के अंतर्गत बिलासपुर जिले के 5 प्रतिशत भाग, रायगढ़ जिले का 14 प्रतिशत भाग तथा सरगुजा जिले के 8 प्रतिशत भाग आता है। प्रदेश में सोन इसकी प्रमुख नदी है, जो पेन्ड्रा रोड तहसील के बंजारी पहाड़ी क्षेत्र से निकलकर पूर्व से पश्चिम से ओर बहती हुई मध्यप्रदेश एवं उत्तरप्रदेश को पार करते हुई गंगा नदी में मिल जाती है। कन्हार, रिहन्द, गोपद, बनास, बीजाल इसकी अन्य सहायक नदियां हैं।
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कन्हार नदी-
यह नदी बिलासपुर जिले के उत्तरी पश्चिमी भाग में स्थित खुड़िया पठार के बखोना नामक पहाड़ी से निकलती है। इसका उद्गम स्थल 1012 मीटर ऊंचा है। यहां से उत्तर की ओर बहती हुई सामरी तहसील में 60 मीटर ऊंचे कोठरी जलप्रपात की रचना करती है। इसके पश्चात शहडोल एवं सतना जिले की सीमा पर सोन नदी में मिल जाती है। यह नदी सरगुजा जिले में 3030 वर्गकिमी अपवाह क्षेत्र का निर्माण करती है। सिन्दूर गलफूला, दातरम, पेंगन, आदि इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं।
रिहन्द नदी-
यह नदी सरगुजा जिले के मैनपाठ के निकट 1088 मीटर ऊंची मातरिंगा पहाड़ी से निकलती है। अपनी उद्गम स्थल से उत्तर की ओर बहती हुई यह सरगुजा बेसीन की रचना करती है। इसी कारण उसे सरगुजा जिले की जीवन रेखा कहा जाता है। यह अपवाह क्रम की सबसे बड़ी (145 किमी) नदी है। इस पर मिर्जापुर क्षेत्र में रिहन्द नामक बांध बनाया गया है। रिहन्द बेसीन में बहने के पश्चात अन्ततः उत्तरप्रदेश में सोन नदी में विलिन हो जाती है। घुनघुटा, मोरनी, महान, सूर्या, गोबरी आदि इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं।
गोदावारी अपवाह तंत्र-
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गोदावरी महाराष्ट्र प्रदेश के नासिक जिले के त्रयम्बक नामक 1067 मीटर ऊंचे स्थान से निकलकर छत्तीसगढ़ की दक्षिणी सीमा बनाती हुई बहती है। ‘दक्षिण की गंगा‘ नाम से विख्यात यह नदी प्रदेश के बस्तर जिले 4240 वर्ग किमी तथा राजनांदगांव जिले में 2558 वर्ग किमी अपवाह क्षेत्र बनाती है, तथा लगभग 40 किमी लंबी दूरी में बहती है। इन्द्रावती, शबरी, चिंता, कोटरी बाघ, नारंगी, मरी, गुडरा, कोभरा, डंकनी और शंखनी आदि इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं। |
इन्द्रावती नदी-
यह गोदावरी की प्रधान सहायक तथा बस्तर जिले के सबसे बड़ी नदी है। इसका उद्गम उड़ीसा राज्य के कालाहांडी पठार से हुआ है। प्रदेश के बस्तर जिले में लगभग 370 किमी की दूरी तय करते हुये पूर्व से पश्चिम दिशा में बहते हुये यह गोदावरी में विलीन हो जाती है। यह नदी जगदलपुर से लगभग 35 किमी दूर पश्चिम में चित्रकोट जल-प्रपात की रचना करती है।
कोटरी नदी-
यह नदी दुर्ग जिले की उच्च भूमि से निकलकर कांकेर जिले में इंद्रावती नदी में मिल जाती है। इसका सर्वाधिक अपवाह क्षेत्र राजनांदगांव जिले में है।
शबरी नदी-
इसका उद्गम दंतेवाड़ा के निकट बैलाडीला पहाड़ी है, जो बस्तर की दक्षिणी पूर्वी सीमा में बहती हुई आन्ध्रप्रदेश के कुनावरम् के निकट गोदावरी में मिल जाती है। बस्तर जिले में यह 150 किमी लंबाई में बहती है। जिससे 5680 किमी अपवाह क्षेत्र का निर्माण करती है।
डंकिनी और शंखिनी नदी-
ये दोनों इंद्रावती की प्रमुख सहायक नदियां हैं। डंकिनी नदी का उद्गम डांगरी-डोंगरी तथा शंखिनी नदी का उद्गम बैलाडीला पहाड़ी से हुआ है। दंतेवाड़ा में ये दोनों नदियां आपस में मिल जाती हैं।
बाघ नदी-
इस नदी का उद्गम राजनांदगांव जिले में स्थित पठार से हुआ है। यह नदी छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र राज्यों के बीच की सीमा बनाती है।
नारंगी नदी-
यह बस्तर जिले की कोंडागांव तहसील से निकलती है। तथा चित्रकूट प्रपात के निकट इन्द्रावती में विलीन हो जाती है।
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